रिमझिम गिरे सावन,
सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
रिमझिम गिरे सावन,
सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में
लगी कैसी ये अगन
जब घूंगरूओं सी
बजती हैं बूंदे
अरमा हमारे
पलकें ना मूंदे
कैसे देखे सपने नयन,
सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में,
लगी कैसी ये अगन
रिमझिम गिरे सावन…
महफ़िल में कैसे
कह दे किसी से
दिल बंध रहा है
किसी अजनबी से
हाय करे अब क्या जतन,
सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में,
लगी कैसी ये अगन
रिमझिम गिरे सावन…