हसता हुआ ये चेहरा बस नज़र का धोखा है
तुमको क्या खबर कैसे आंसुओ को रोका है
तुमको क्या खबर कितना में रात से डरता हूँ
सौ दर्द जाग उठते है जब ज़माना सोता है
हां तुमपे उंगलियां ना उठे इसलिए गम उठाते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है
और मुस्कुराते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है
और मुस्कुराते है
क्या बताये सीने में किस कदर दरारे है
हम वो है जो सिसो को टूटना सिखाते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है
लोग हमसे कहते है लाल क्यों है यह आँखे
कुछ नशा किया है या रात सोये थे कुछ कम
लोग हमसे कहते है लाल क्यों है यह आँखे
कुछ नशा किया है या रात सोये थे कुछ कम
क्या बताये लोगो को कौन है जो समझेगा
रात रोने का दिल था पहिए भी रो न पाए हम
दस्तके नहीं देते हम कभी तेरे दर पे
तेरी गलियों से हम
यू ही लौट आते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है
कुछ समझ ना आये
कुछ समझ ना आये
हम चैन कैसे पाए , बारिशे जो साथ में गुज़री भूल कैसे पाए
कैसे छोड़ दे आखिर तुझको याद करना
तू जिए तेरी खातिर अब है कुबूल मरना
तेरे खत जला ना सके इसलिए दिल जलाते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है और मुस्कुराते है
हम वो है जो सिसो को टूटना सिखाते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है और मुस्कुराते है
दिल पे ज़ख़्म खाते है